नशा भरा है आँगन में
पावन धरती और गगन में
नदी झरने नशे में सागर
बूँद नशे की नशे का गागर
नशा अजर है नशा अमर है
दसों दिशा में नशे के पहर है
जीवन स्वयं है मद का प्याला
घोल बचपने में सब डाला
प्रेम नशा है राग नशा है
अल्हड़पन बैराग नशा है
धरा नशे में घूम रही है
चंदा के संग झूम रही है
जीवन व्यर्थ यदि नशा नहीं है
मुक्ति मरण निर्वाण यही है
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