Sunday 26 April 2020


नशा भरा है आँगन में

पावन धरती और गगन में

नदी झरने नशे में सागर

बूँद नशे की नशे का गागर

नशा अजर है नशा अमर है

दसों दिशा में नशे के पहर है

जीवन स्वयं है मद  का प्याला

घोल बचपने में सब डाला

प्रेम नशा है राग नशा है

अल्हड़पन बैराग नशा है

धरा नशे में घूम रही है

चंदा के संग झूम रही है

जीवन व्यर्थ यदि नशा नहीं है

मुक्ति मरण निर्वाण यही है